#मूर्खता का शिक्षा के साथ कोई संबंध नहीं है।
कोई बहुत शिक्षित होकर भी मूर्ख हो सकता है।
स्वयं को प्रगतिशील और आधुनिक दिखाने की होड़ में भी कुछ लोग मूर्खताएँ करते हैं। #एक IAS अधिकारी हैं !!
जिनकी मीडिया में बड़ी #वाहवाही हो रही है कि उन्होंने अपने विवाह में पिता को अपना #कन्यादान करने से रोक दिया।
कहा कि मैं दान की वस्तु नहीं हूँ।
कुछ दिन पहले ऐसा ही ज्ञान ‘मान्यवर’ कंपनी के विज्ञापन में आलिया भट्ट द्वारा दिलाया गया था।
मानो कन्यादान कोई सामाजिक बुराई है!!!
लेकिन वे नहीं जानते कि इस परंपरा का अर्थ क्या है?
हिंदू विवाह के कुल 22 चरण होते हैं।
कन्यादान इसमें सबसे महत्वपूर्ण है। अग्नि को साक्षी मानकर लड़की का पिता/अभिभावक अपनी बेटी के गोत्र का दान करता है। इसके बाद बेटी अपने पिता का गोत्र छोड़कर पति के गोत्र में प्रवेश करती है।
कन्यादान का यह अर्थ नहीं कि ऐसा करके पिता बेटी को दान कर देता है। कन्यादान हर पिता का धार्मिक कर्तव्य है। इस दौरान जो मंत्रोच्चार होता है उसमें पिता होने वाले दामाद से वचन लेता है कि आज से वह उसकी बेटी की सभी ख़ुशियों का ध्यान रखेगा।
ऐसी भावुक और हृदयस्पर्शी रस्म को भी वामपंथी मूर्खता का शिकार बनाया जा रहा है।
इन मूर्ख संस्कारहीनों को नहीं पता कि हिंदू धर्म के विवाह मंत्रों की रचना किसी पुरुष ने नहीं, बल्कि विदूषी सूर्या सावित्री ने की थी।
कन्यादान को लेकर मूर्खतापूर्ण अभियान चलाने वालों की बुद्धि पर तरस खाइए और चिंता कीजिए कि ऐसे IAS-IFS अधिकारी और उनकी मूर्खता पर वाह-वाह करने वाला मीडिया देश, समाज और धर्म का कितना अहित कर रहे हैं!!!
इसी तरह की बहुत सी बातों के लिए मीडिया हिंदू धर्म को अपमानित करने की कोशिश करता रहता है। इसलिए सभी सनातन धर्मी हिंदुओं से विनम्र अनुरोध है कि वे तथाकथित मीडिया को अपना आदर्श ना मानें, एवं विद्वानों के चरणों में बैठकर धर्म और अध्यात्म की शिक्षा ग्रहण करना प्रारंभ करें... तभी जाकर इस तरह की गलतफहमियों को दूर किया जा सकेगा...
आशा है कि आप मेरे इस अनुरोध को सार्थक समर्थन प्रदान करेंगे...धन्यवाद
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