आप एक प्रयोग कीजिये, एक भगौने में पानी डालिये और उसमे एक मेढक छोड़ दीजिये । फिर उस भगौने को आग में गर्म कीजिये । जैसे जैसे पानी गर्म होने लगेगा, मेढक पानी की गर्मी के हिसाब से अपने शरीर को तापमान के अनकूल सन्तुलित करने लगेगा ।
मेढक बढ़ते हुए पानी के तापमान के अनकूल अपने को ढालता चला जाता है और फिर एक स्थिति ऐसी आती है कि जब पानी उबलने की कगार पर पहुँच जाता है । इस अवस्था में मेढक के शरीर की सहनशक्ति जवाब देने लगती है और उसका शरीर इस तापमान को अनकूल बनाने में असमर्थ हो जाता है । अब मेढक के पास उछल कर, भगौने से बाहर जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा होता है और वह उछल कर, खौलते पानी से बाहर निकले का निर्णय करता है ।
मेढक उछलने की कोशिश करता है, लेकिन उछल नहीं पाता है। उसके शरीर में अब इतनी ऊर्जा नहीं बची है कि वह छलांग लगा सके, क्योंकि उसकी सारी ऊर्जा तो पानी के बढ़ते हुए तापमान को अपने अनुकूल बनाने में ही खर्च हो चुकी है ।
कुछ देर हाथ पाँव चलाने के बाद, मेढक पानी में मरणासन्न पलट जाता है और फिर अंत में मर जाता है ।
यह मेढक आखिर मरा क्यों ?
सामान्य जनमानस का वैज्ञानिक उत्तर यही होगा की उबलते पानी ने मेढक की जान ले ली है लेकिन यह उत्तर गलत है ।
सत्य यह है की मेढक की मृत्यु का कारण, उसके द्वारा उछल कर बाहर निकलने के निर्णय को लेने में हुयी देरी थी । वह अंत तक गर्म होते माहौल में अपने को ढाल कर सुरक्षित महसूस कर रहा था । उसको यह एहसास ही नहीं हुआ था, कि गर्म होते हुए पानी के अनुकूल बनने के प्रयास ने, उसको एक आभासी सुरक्षा प्रदान की हुयी है । अंत में उसके पास कुछ ऐसा नहीं बचता कि वह इस गर्म पानी का प्रतिकार कर सके और उसमें ही खत्म हो जाता है ।
मुझे इस कहानी में जो दर्शन मिला है वह यह कि यह कहानी मेढक की नहीं है, यह कहानी 'हिन्दू' की है ।
यह कहानी, सेकुलर प्रजाति द्वारा हिन्दू को दिए गए आभासी सुरक्षा कवच की है ।
यह कहानी, अपने सेकुलरी वातावरण में ढल कर, सुकून की ज़िन्दगी जीते रहने की, हिन्दू के छद्म विश्वास की है ।
यह कहानी, अहिंसा, शांति और दूसरों की भावनाओं के लिहाज़ को प्राथिमकता देने में, उचित समय में निर्णय न लेने की है ।
यह कहानी, सेकुलरों के बुद्धजीवी ज्ञान, 'मेढक पानी के उबलने से मरा है' को मनवाने की है ।
यह कहानी, धर्म के आधार पर हुए बंटवारे के बाद, उद्वेलित समाज के अनकूल ढलने के विश्वास पर, वहाँ रुक गए हिन्दुओं के अस्तित्व के समाप्त होने की है ।
यह कहानी, कश्मीरियत का अभिमान लिए कश्मीरी पण्डितों की कश्मीर से खत्म होने की है ।
यह कहानी, सेकुलरों द्वारा हिन्दू को मेढक बनाये रखने की है ।
यह कहानी, आपके अस्तिव को आपके बौद्धिक अहंकार से ही खत्म करने की है ।
लेकिन यह एक नई कहानी भी कहती है, यह मेरे द्वारा मेढक बनने से इंकार की भी कहानी है !
मेरी कहानी, आपकी भी हो सकती है, यदि आप, आज यह निर्णय करें कि अब इससे ज्यादा गर्म पानी हम बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं ।
मेरी कहानी, आपकी भी हो सकती है, यदि आप, आज जातिवाद, क्षेत्रवाद, आरक्षण और ज्ञान के अहंकार को तज करके, मेढक से हिन्दू बनने को तैयार हैं ।
आइये! थामिये, एक दूसरे का हाथ और उछाल मार कर और बाहर निकल आइये, इस मृत्युकारक सेक्युलरि सडांध के वातावरण से और वसुंधरा को अपनी नाद से गुंजायमान कीजिये–
'हम हिन्दू हैं! हम भारत हैं! हम ज़िंदा हैं!' किसी बुद्धि जीवी व्यक्ति का बहुत अच्छा लेख है।
पीएम मोदीजी को इतनी नफ़रत व विरोध का सामना कोन कर रहा है ।
नया आधार लिंक कराने से महाराष्ट्र में 10 लाख गरीब गायब हो गए!
उत्तरखण्ड में भी कई लाख फ़र्ज़ी बीपीएल कार्ड धारी गरीब ख़त्म हो गए !
तीन करोड़ (30000000 ) से जायदा फ़र्ज़ी एलपीजी कनेक्शन धारक ख़त्म हो गए !
मदरसों से वज़ीफ़ा पाने वाले 1,95,000 फर्ज़ी बच्चे गायब हो गए!
डेढ़ करोड़ (15000000 ) से ऊपर फ़र्ज़ी राशन कार्ड धारी गायब हो गए!
ये सब क्यों और कहाँ गायब होते जा रहे हैं !
चोरो का सारा काला चिटठा खुलने वाला है …इसीलिए सारे चोर ने मिलकर माननीय सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दायर कर दी कि आधार लिंक हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है ! चोरों को प्राइवेसी का कैसा अधिकार!
1) कंपनी के MD :मोदी ने फर्जी 3 लाख से ज्यादा कम्पनियां बन्द कर दी है!
2) राशऩ डीलर नाराज़ हो गये!
3) Property Dealer नाराज़ हो गये!
4)ऑनलाइन सिस्टम बनने से दलाल नाराज़ हो गये है!
5) 40,000 फर्जी NGO बन्द हो गये है, इसलिए इन NGO के मालिक भी नाराज़ हो गये !
6) No 2 की Income से Property खरीद ने वाले नाराज़ हो गये!
7) E-Tender होने से कुछ ठेकेदार भी नाराज़ हो गये!
8) गैस कंपनी वाले नाराज़ हो गये!
9) अब तक जो 12 करोड लोग Income टैक्स के दायरे मै आ चुके हैं वह लोग नाराज़ हो गये!
10) GST सिस्टम लागू होने से ब्यापारी लोग नाराज़ हो गये, क्योकि वो लोग Automatic सिस्टम मै आ गये है!
11) वो 2 नम्बर के काम बाले लोग फलना फूलना बन्द हो गये है!
13) Black को White करने का सिस्टम एक दम से लुंज सा हो गया है।
14) आलसी सरकरी अधिकारी नाराज हो गये, क्योकि समय पर जाकर काम करना पड रहा हैं!
15) वो लोग नाराज हो गये, जो समय पर काम नही करते थे और रिश्वत देकर काम करने मे विश्वास करते है।
16) 10 रुपये महीना का कमरा और 300 रु महीना मै खाना खाने वाला 7 साल तक मुफ्त की रोटी तोड़ने वाला JNU का छात्र भी परेशान है मोदी से😀😀
दुख होना लाज़मी है देश बदलाव की कहानी लिखी जा रही है, जिसे समझ आ रही है बदल रहा है जिसे नही आ रही है वो मंदबुध्दि युवराज के *मानसिक गुलाम* हमे अंधभक्त कह कह कर छाती कूट रहे है!
💥 अगर"देश के लिए"कुछ करना है, तो यह सन्देश -30 लोगों को भेजना है। थे
💥 बस - आपको तो एक कड़ी जोड़नी है, देखते ही देखते,"पूरा देश" जुड़ जायेगा।!
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