Friday, 1 January 2021

जरुरत और उपयोगी

 


आप


 सभी , मित्रो शुभचिंतकों और साथियों को अंग्रेजी नववर्ष की बहुत सारी शुभकामनाएं। इस कहानी में बड़ा गूढ़ और उपयोगी तथ्य समाहित है। इस पर जितनी दूर तक चाहें मंथन कर सकते हैं। जीवन में अपना भी सकते हैं। आज का कर्म और व्यवहार ही आपका कल तय करेगा। पुनः शुभकामनाएं, नया वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो...


एक राजा ने अपने तीन मंत्रियों को राजसभा में बुलाकर  कहा कि एक एक थैला लेकर बाजार में जाएं और वहाँ से ताजे एवं स्वादिष्ट फल लेकर आएं। फलों के लिए धन खजाने से दिया जाएगा।

  तीनों मंत्री अपनी रुचि और सुविधा के अनुसार बाजार में गए। पहले मंत्री ने राजा के लिए अच्छे फल जुटाए। उसने लगन और परिश्रम से अपना थैला स्वादिष्ट और ताजा फलों से भर लिया।

    दूसरे मंत्री ने दिमाग चलाया। उसने सोचा कि राजा प्रत्येक फल का निरीक्षण तो करेगा नहीं।इसलिए उसने थैले में कुछ ताजा, कुछ कच्चा, कुछ बासी और सस्ता फल  भर लिया। उसने हेराफेरी करके कुछ पैसे बचा लिए।

      तीसरे मंत्री ने भी सोचा कि राजा की नजर सिर्फ थैले पर होगी। वह तो यह भी नहीं देखेगा कि इसमें क्या भरा है। उसने पैसे बचाने के लिए थैले में घास और पत्ते भर लिए और लौट आया।

       अगले दिन राजा ने मंत्रियों को थैलों के साथ राजसभा में बुलाया। राजा ने थैलों को खोलकर नहीं देखा लेकिन सेनापति से कहा कि तीनों मंत्रियों को इनके थैलों सहित अलग अलग स्थानों पर एक महीने के लिए कैद कर दिया जाय।

      तीनों मंत्री कैद कर दिए गए। उनके पास खाने पीने के लिए और कुछ भी नहीं था। सिर्फ वही थैले थे,जोवह बाजार से ले आए थे। 

      जिस मंत्री ने अच्छे ताजे और स्वादिष्ट फल जमा किए थे। वह उन्हीं फलों को खाता रहा और उसने सरलता से एक महीने बिता दिए।

     दूसरा मंत्री, जिसने कुछ ताजा, कुछ कच्चा और सस्ता फल लिया था। उसके फल जल्दी खराब हो गए। वह भी इन खराब फलों को खाता रहा और बीमार पड़ गया। उसे अनेक कष्ट उठाने पड़े।

       तीसरा मंत्री, जिसने थैले में सिर्फ घास और पत्ते भर लिए थे, पूरा पैसा बचा लिया था। वह कुछ ही दिनों में भूख से तड़प कर मर गया।

     हमें भी विचार करना चाहिए कि हम अपने लिए क्या जमा कर रहे हैं। प्रकृति या परमात्मा तो वही लौटाता है, जो हमने जमा किया होता है। सद्गुरुदेव कहते हैं कि हमारी श्रद्धा और व्यवहार ही कृपा बन कर लौटता है।

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