. निधिवन
एक बार कलकत्ता का एक भक्त अपने गुरु की सुनाई हुई भागवत कथा से इतना मोहित हुआ कि वह हर समय वृन्दावन आने की सोचने लगा उसके गुरु उसे निधिवन के बारे में बताया करते थे और कहते थे कि आज भी भगवान यहाँ रात्रि को रास रचाने आते है उस भक्त को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था,
और एक बार उसने निश्चय किया कि वृन्दावन जाऊंगा और ऐसा ही हुआ। श्री राधा रानी की कृपा हुई और आ गया वृन्दावन उसने जी भर कर बिहारी जी का राधा रानी का दर्शन किया लेकिन अब भी उसे इस बात का यकीन नहीं था कि निधिवन में रात्रि को भगवान रास रचाते हैं।
उसने सोचा कि एक दिन निधिवन रुक कर देखता हू इसलिए वो वही पर रूक गया और देर तक बैठा रहा और जब शाम होने को आई तब एक पेड़ की लता की आड़ में छिप गया।
जब शाम के वक़्त वहा के पुजारी निधिवन को खाली करवाने लगे तो उनकी नज़र उस भक्त पर पड गयी और उसे वहाँ से जाने को कहा तब तो वो भक्त वहाँ से चला गया, लेकिन अगले दिन फिर से वहा जाकर छिप गया और फिर से शाम होते ही पुजारियों द्वारा निकाला गया और आखिर में उसने निधिवन में एक ऐसा कोना खोज निकाला जहा उसे कोई न ढूंढ़ सकता था, और वो आँखे मूंदे सारी रात वही निधिवन में बैठा रहा और अगले दिन जब सेविकाए निधिवन में साफ़ सफाई करने आई तो पाया कि एक व्यक्ति बेसुध पड़ा हुआ है और उसके मुह से झाग निकल रहा है।
तब उन सेविकाओं ने सभी को बताया तो लोगो कि भीड़ वहाँ पर जमा हो गयी सभी ने उस व्यक्ति से बोलने की कोशिश की लेकिन वो कुछ भी नहीं बोल रहा था, लोगो ने उसे खाने के लिए मिठाई आदि दी लेकिन उसने नहीं ली और ऐसे ही वो ३ दिन तक बिना कुछ खाए-पीये ऐसे ही बेसुध पड़ा रहा और ५ दिन बाद उसके गुरु जो कि गोवर्धन में रहते थे, बताया गया तब उसके गुरूजी वहाँ पहुँचे और उसे गोवर्धन अपने आश्रम में ले आये।
आश्रम में भी वो ऐसे ही रहा और एक दिन सुबह सुबह उस व्यक्ति ने अपने गुरूजी से लिखने के लिए कलम और कागज़ माँगा गुरूजी ने ऐसा ही किया और उसे वो कलम और कागज़ देकर मानसी गंगा में स्नान करने चले गए जब गुरूजी स्नान करके आश्रममें आये तो पाया कि उस भक्त ने दीवार के सहारे लग कर अपना शरीर त्याग दिया था, और उस कागज़ पर कुछ लिखा हुआ था।
उस पर लिखा था- "गुरूजी मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई है, पहले सिर्फ आपको ही बताना चाहता हूँ, आप कहते थे न कि निधिवन में आज भी भगवान रास रचाने आते है और मैं आपकी कही बात पर यकीन नहीं करता था, लेकिन जब मैं निधिवन में रूका तब मैंने साक्षात बांके बिहारी का राधा रानी के साथ गोपियों के साथ रास रचाते हुए दर्शन किया और अब मेरी जीने की कोई भी इच्छा नहीं है, इस जीवन का जो लक्ष्य था वो लक्ष्य मैंने प्राप्त कर लिया है और अब मैं जीकर करूँगा भी क्या..? श्याम सुन्दर की सुन्दरता के आगे ये दुनिया वालों की सुन्दरता कुछ भी नहीं है, इसलिए आपके श्री चरणों में मेरा अंतिम प्रणाम स्वीकार कीजिये।"
वो पत्र जो उस भक्त ने अपने गुरु के लिए लिखा था आज भी मथुरा के सरकारी संघ्रालय में रखा हुआ है और बंगाली भाषा में लिखा हुआ है।
कहा जाता है निधिवन के सारी लतायें गोपियाँ हैं, जो एक दूसरे कि बाहों में बाहें डाले खड़ी है। जब रात में निधिवन में राधा रानी जी, बिहारी जी के साथ रास लीला करती है तो वहाँ की लतायें गोपियाँ बन जाती हैं, और फिर रास लीला आरंभ होती है, इस रास लीला को कोई नहीं देख सकता,दिन भर में हजारों बंदर, पक्षी, जीव जंतु निधिवन में रहते है पर जैसे ही शाम होती है,सब जीव जंतु बंदर अपने आप निधिवन से बाहर चले जाते हैं। एक परिंदा भी फिर वहाँ पर नहीं रुकता, यहाँ तक कि जमीन के अंदर के जीव चीटी आदि भी जमीन के अंदर चले जाते हैं, रास लीला को कोई नहीं देख सकता क्योकि रास लीला इस लौकिक जगत की लीला नहीं है। रास तो अलौकिक जगत की "परम दिव्यातिदिव्य लीला" है कोई साधारण व्यक्ति या जीव अपनी आँखों से देख ही नहीं सकता. जो बड़े बड़े संत है उन्हें निधिवन से राधारानी जी और गोपियों के नुपुर की ध्वनि सुनी है।
जब रास करते करते राधा रानी जी थक जाती हैं तो बिहारी जी उनके चरण दबाते है, और रात्रि में शयन करते हैं। आज भी निधिवन में शयन कक्ष है जहाँ पुजारी जी जल का पात्र, पान, फुल और प्रसाद रखते हैं, और जब सुबह पट खोलते हैं, तो जल पीला मिलता है, पान चबाया हुआ मिलता है, और फूल बिखरे हुए मिलते है।
🙏 राधे...... 🙏 राधे........
वृन्दावन धाम या बरसाना कोई घूमने फिरने या पिकनिक मनाने की जगह नहीं है, ये आपके इष्ट की जन्मभूमि लीलाभूमि व तपोभूमि है। सबसे ख़ास बात ये प्रेमभूमि है, जब भी आओ इसको तपोभूमि समझ कर मानसिक व शारीरिक तप किया करो, शरीर से सेवा, व वाणी से राधा नाम गाया जाए, तब ही धाम मे आना सार्थक है।
एक अद्भुत मस्ती ताकत व् आनंद ले कर वापिस जाया करो .आप की धाम निष्ठां मे वृद्धि हो इसी कामना से बोलो..
जय जय श्री राधे..🌸जय श्री कृष्ण🌹🌹
Kya yah satya hai kya
ReplyDeleteKaise man Lu