Saturday, 25 July 2020

एकाग्रता ही एक उद्देश्य


बहुत सुन्दर कहानी

एक महिला रोज मंदिर जाती थी; ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा; अब मैं मंदिर नही आया करूँगी;

इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ?

तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ; लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं; ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है; ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं;

इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं;

महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ?

पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए;। शर्त ये है; कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये;

महिला बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ;

फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया; ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे; -

*1. क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?

*2. क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?

*3. क्या किसी को पाखंड करते देखा?

महिला बोली -- नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा;

*फिर पुजारी बोले --- जब आप परिक्रमा लगा रही थीं; तोआपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए; इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया;

 अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा; सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें;

      जाकी रही भावना जैसी;
    प्रभु मूरत देखी तिन तैसी;

जीवन मे दुःखो के लिए कौन जिम्मेदार है; ?

 ना भगवान,
 ना गृह-नक्षत्र,
 ना भाग्य,
 ना रिश्तेदार,
 ना पडोसी,

जिम्मेदार आप स्वयं है;

आपका सरदर्द, फालतू विचार का परिणाम;

पेट दर्द, गलत खाने का परिणाम;

आपका कर्ज, जरूरत से ज्यादा खर्चे का परिणाम;

आपका दुर्बल /मोटा /बीमार शरीर, गलत जीवन शैली का परिणाम;

आपके कोर्ट केस, आप के अहंकार का परिणाम;

आपके फालतू विवाद, ज्यादा व् व्यर्थ बोलने का परिणाम;

            उपरोक्त कारणों के अलावा सैकड़ों कारण है; और बेवजह दोषारोपण दूसरों पर करते रहते हैं;  इसमें ईश्वर दोषी नहीं है;...!!
अगर हम इन कष्टों के कारणों पर बारिकी से विचार करें तो पाएंगे की कहीं न कहीं हमारी मूर्खताएं ही इनके पीछे है;...!!

आपका जीवन प्रकाशमय  तथा शुभ हो;...!!

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